त्वचा रोग और मस्सों के लिए असरदार होम्योपैथिक दवा : thuja occ 200 uses in hindi

Thuja occ 200 Uses in Hindi : त्वचा रोग, मस्सों और मानसिक असंतुलन के लिए असरदार होम्योपैथिक दवा
Thuja occ 200 एक प्रभावशाली होम्योपैथिक मेडिसिन है, जो विशेष रूप से त्वचा रोग, फोड़े-फुंसी, मस्से, जननांग संबंधी विकार और मानसिक असंतुलन के उपचार में कारगर होती है। यह दवा त्वचा, स्नायु तंत्र, गुर्दे और मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है, जिससे वायरल संक्रमण, टीकाजनित दुष्प्रभाव, और सूजन से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है।
इसका उपयोग फंगल इन्फेक्शन, जननांगों में सूजन, शरीर में असामान्य गांठें, मानसिक बेचैनी, गाने की आवाज से चिड़चिड़ापन, अकेले रहने की प्रवृत्ति, और शरीर में पानी की अधिकता से होने वाली समस्याओं के इलाज में किया जाता है। यदि रोगी को ऐसा लगे कि पेट में कोई जीवित चीज़ चल रही है, गुस्सा अधिक आता है, और शरीर कांपने लगता है, तो Thuja occ 200 से राहत मिल सकती है।
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थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन विभिन्न रोग के लक्षणों को समाप्त करके रोगों को ठीक करती है। इस होम्योपैथिक मेडिसिन की क्रिया विशेष रूप से त्वचा रोग, जठरान्त्रपथ, गुर्दे और मस्तिष्क पर होती है। यह होम्योपैथिक मेडिसिन रोग के कारण उत्पन्न फोड़े-फुंसी, मांसाकुंरों तथा मस्सों जैसे फुंसियों आदि को ठीक करती है। ठण्ड लगने के कारण बलगम के थक्के बनने पर रोगी को यह होम्योपैथिक मेडिसिन लेनी चाहिए।
खून निकलने पर कवकगुल्म (फंगस ग्रोव्थस) तथा जतूक व शिराओं के अत्यधिक सूजन आदि में थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग किया जाता है। थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन की क्रिया त्वचा के अतिरिक्त जननेन्द्रिय पर भी विशेष रूप से होती है। इस होम्योपैथिक मेडिसिन के प्रयोग से जननेन्द्रिय के ऐसे विकृत दशायें उत्पन्न होती है जैसे रक्तदूषित होने के समय होती है।
थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन श्लैष्मा तथा त्वचा की परतों पर मस्से जैसे विवर्द्धनों को उत्पन्न हुए गुलर जैसे मस्से और अर्बूदों आदि को ठीक करती है।
थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन में प्रमेह और गोबीज टीका के जीवाणुओं को नष्ट करने वाले लक्षण पाए जाते हैं। इसलिए सूजाक की दबी हुई अवस्था, डिम्बवाहिनियों की सूजन। टीका लगाने के कारण उत्पन्न रोग।
प्रमेह-दोष के कारण पेशियों और संधियों में होने वाला दर्द तथा ऐसे लक्षण जिसमें आराम करने पर, सूखे मौसम में, नमी वाले मौसम तथा तर वातावरण में रोग बढ़ता है। ऐसे लक्षणों में थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग किया जाता है।
लंगड़ापन तथा शरीर की ऐसी प्रकृति जिसमें रक्त अस्वाभाविक रूप से अत्यधिक जलयुक्त होता है। अत: भीगी हवा और पानी से उन्हें अत्यधिक कष्ट होता है। तेज थकावट और शीतप्रधान आदि स्थितियों में थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग लाभकारी होता है। चेचक व फुंसियों को जल्दी ठीक करने के लिए, पूतिज्वर को रोकने के लिए, टीकाजनित धातुदोश जैसे कठिन त्वचा रोग तथा स्नायु का दर्द आदि को दूर करने के लिए इस होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग किया जाता है।
शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का उपयोग :-
Thuja 200 के लिए मन से सम्बंधित लक्षण :- रोगी का मन हमेशा स्थिर और शांत रहता है। वह किसी से बात करना या मिलना पसन्द नहीं करता। रोगी अपने-आप में ही खोया रहता है तथा उसे अपने आस-पास का कुछ भी ज्ञात नहीं रहता। रोगी को देखने से ऐसा महसूस होता है जैसे उसकी आत्मा और शरीर अलग-अलग है।
रोगी को अपने पेट में ऐसा महसूस होता है कि कोई जीवित जीव पेट के अन्दर चल रहा है। रोगी अधिक गुस्सैल होता है तथा छोटी-छोटी बातों पर लड़ने लगता है। वह गाना सुनना बिल्कुल पसन्द नहीं करता तथा गाने की आवाज सुनते ही गुस्से के मारे पूरे शरीर में कम्पन होने लगता है। ऐसे मानसिक लक्षणों से पीड़ित रोगी को थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग करना चाहिए।
Thuja 200 Uses In Hindi : होम्योपैथिक मेडिसिन थूजा 200 के उपयोग
Thuja 200 के लिए सिर से सम्बंधित लक्षण :
सिर में दर्द होने के साथ रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे कोई कील सिर में ठोक दिया हो। चाय पीने से स्नायुओं में दर्द होना। सिर के बाईं ओर दर्द होना।
सिर में सफेद पपड़ीदार रूसी होना, बाल सूखना तथा बाल का झड़ना आदि सिर से सम्बंधित विभिन्न लक्षणों में थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग करना चाहिए। यह होम्योपैथिक मेडिसिन चेहरे के चिपचिपापन को भी समाप्त करती है।
Thuja 200 के लिए आंखों से सम्बंधित लक्षण :
आंखों की पलकों के स्नायुओं में दर्द होना तथा परितारिका की सूजन। रात के समय पलकों का आपस में चिपक जाना, पलकों का सूख जाना तथा पलकों पर परतदार पपड़ियां बनना। अंजनियां और पलकों पर फोड़े होना। श्वेतपटल (आंखों का सफेद भाग) पर कम या अधिक जलन होना।
श्वेतपटल धब्बों में उभरा हुआ और नीलाभ लाल होना। बड़े-बड़े चपटे छाले होने के साथ आंखों का ठीक से काम न करना। बार-बार होने वाला उपशुक्लमण्डल की जलन। पुराने श्वेतपटल की सूजन। इस तरह के आंखों से सम्बंधित विभिन्न लक्षणों में से कोई भी लक्षण हो तो रोगी को थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन देनी चाहिए।
Thuja 200 के लिए कान से सम्बंधित लक्षण :
कान की पुरानी सूजन तथा कान से पीब का निकलना। खाने-पीने की चीज निगलते समय कान में कड़कड़ाहट की आवाज सुनाई देना। कान के फोड़े होना आदि कान से सम्बंधित लक्षणों को ठीक करने के लिए थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
Thuja Occidentalis 200 Uses In Hindi : होम्योपैथिक मेडिसिन थूजा ऑक्सीडेंटेलिस के उपयोग
Thuja 200 के लिए नाक से सम्बंधित लक्षण :
पुरानी सर्दी-जुकाम होना तथा नाक से गाढ़े व हरे रंग का बलगम निकलना। बलगम के साथ खून एवं पीब आना। नाक को साफ करते समय दांत में दर्द होना। नथूनों के अन्दर घाव होना। नाक के अन्दर खुश्की होना तथा नाक के जड़ में दर्द व दबाव महसूस होना आदि नाक रोग के लक्षणों से पीड़ित रोगी को थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन देनी चाहिए।
Thuja 200 के लिए मुंह से सम्बंधित लक्षण :
जीभ के नोक पर तेज दर्द होना। जड़ के पास किनारों पर सफेद फफोले पड़ना तथा जीभ में घाव होने के साथ दर्द होना। मसूढ़ों तक दांतों का खराब हो जाना, दांतों व मसूढ़ों का अत्यन्त स्पर्शकातर (छूने से तेज दर्द होना) तथा मसूढ़ों का पीछे हट जाना। जीभ के नीचे फोड़े होना, जीभ व मुंह के अन्दर की शिरायें फूली हुई। ऐसे मुंह से सम्बंधित लक्षणों में थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग अत्यन्त लाभकारी होता है।
Thuja 200 के लिए दांत से सम्बंधित लक्षण :
दांत में उत्पन्न ऐसे लक्षण जिसमें दांतों के जड़ खोखले हो जाते हैं परन्तु ऊपरी भाग ठीक ही रहता है। दांत पर पीले रंग का मैल जम जाता है और दांत टूटता रहता है। चाय पीने के बाद दांत में दर्द होता है तथा नाक छिड़कने से भी खोखले दांत के अन्दर या किनारे पर दर्द होता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को ठीक करने के लिए थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग किया जाता है।
Thuja 200 के लिए सांस संस्थान से सम्बंधित लक्षण :
सांस संस्थान से सम्बंधित ऐसे लक्षण जिसमें रोगी को दोपहर के बाद लगातार खांसी आती है और साथ ही पेट के अन्दरूनी भाग में दर्द होता है। बच्चों का दमा रोग। स्वरनली में दानेदार फुंसियां होना तथा आवाज नली में लम्बे समय से चले आ रहे जलन। सांस से सम्बंधित ऐसे लक्षणों में थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग करने से रोग ठीक होता है।
Thuja 30 Uses In Hindi : थूजा 30 होम्योपैथिक दवा के उपयोग
Thuja 30 के लिए आमाशय से सम्बंधित लक्षण :
आमाशय से सम्बंधित विभिन्न लक्षण जैसे- भूख का न लगना। ताजे मांस व आलू खाने की इच्छा न करना। चिकने या तेल वाले पदार्थ खाने के बाद बदबूदार या खट्टी डकारें आना। पाकाशय के ऊपरी भाग में काटता हुए दर्द होना। प्याज खाने की इच्छा न करना। पेट का फूल जाना, खाना खाने से पहले पाकाशय में धंसने जैसा महसूस होना, खाना खाने के बाद पेट में दर्द होना तथा प्यास कम या अधिक लगना आदि लक्षणों में थूजा 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग किया जाता है। इस होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग चाय पीने के कारण अजीर्णता को दूर करने के लिए भी किया जाता है।
Thuja occ 30 के लिए पेट से सम्बंधित लक्षण :- पेट का फूल जाना। पेट में खिंचाव महसूस होना। पुराने दस्त रोग का बासी भोजन करने के बाद बढ़ जाना। दस्त का तेजी से आने तथा दस्त करते समय गड़गड़ की आवाज आना। कत्थई रंग के धब्बे बनना।
पेट का फूल जाने के साथ पेट का फैल जाना। पेट में गड़गड़ की आवाज के साथ पेट का दर्द आदि लक्षणों में थूजा 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग करना चाहिए।
Thuja occ 200 के लिए मलाशय से सम्बंधित लक्षण :- कब्ज बनने के कारण मलाशय में तेज दर्द होना तथा दर्द के कारण दस्त करते समय मल का मलद्वार से वापस मलाशय में चले जाना। बैठने पर अधिक वेदना साथ ही मलद्वार के पास सुई के चुभने की तरह दर्द व जलन होना। मलद्वार में घाव होना, मलद्वार पर मस्से का उत्पन्न होना तथा मलद्वार में कीड़े होने जैसा महसूस होना आदि लक्षणों में रोगी को थूजा 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग करना चाहिए।
सुबह के समय पतले दस्त का आना या खाना खाने के बाद बिना दर्द या दर्द के साथ दस्त का आना। पीले रंग के पतले दस्त का आना तथा दस्त के समय पहले हवा का निकलना उसके बाद तेजी से मल का आना। पेट में गड़गड़ाहट होना आदि लक्षणों में रोगी को थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन देने से रोग ठीक होता है। बवासीर के मस्सों में सूजन और जलन होने पर उस स्थान को छूने या बैठने से दर्द अधिक होता है। मलद्वार में खुजली होती है।
सीवन (लिंग की सुपारी) पर गुमड़ी हो जाती है और उसमें मवाद आ जाती है जिसके कारण चलने-फिरने से दर्द होता है। ऐसे लक्षणों में रोगी को थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन लेनी चाहिए।
Thuja occ 200 : होम्योपैथिक दवा थूजा 1m के उपयोग
Thuja occ 200 के लिए मूत्राशय से सम्बंधित लक्षण :- मूत्रनली का सूज जाना व जलन होना। पेशाब करते समय पेशाब की धार कई भाग में बंटी हुई होने के साथ धार कम होना। पेशाब करने के बाद बूंद-बूंद कर पेशाब का टपकना। पेशाब करने के बाद तेज काटता हुआ दर्द होना। बार-बार पेशाब लगना तथा पेशाब करते समय मूत्राशय में दर्द होना। अचानक पेशाब का इतने तेजी से लग जाना कि उसे कुछ क्षण के लिए भी रोका नहीं जा सकता। मूत्राशय की संकोचक पेशी में चुन्नता आ जाना आदि लक्षणों में रोगी को थूजा 1m होम्योपैथिक मेडिसिन देने से रोग ठीक होता है।
Thuja occ 200 के लिए पुरुष रोग से सम्बंधित लक्षण :- लिंग के अगले भाग की त्वचा व लिंगमुण्ड (लिंग के अगले भाग) में जलन होना तथा लिंग में दर्द होना। लिंग के अगले भाग में जलन होना। प्रमेहजनित आमवात। अण्डकोषों में लम्बे समय से चला आ रहा खिंचाव। मूत्राशय के मुख के पास दर्द और जलन होना तथा पेशाब का बार-बार व तीव्रवेग से आना। पुर:स्थग्रंथि का बढ़ जाना। इस तरह के मूत्राशय से सम्बंधित लक्षणों में थूजा 1m होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
सूजाक रोग में पहले मवाद पतला आता है और फिर बाद में गाढ़ा पीले रंग का मवाद आने लगता है। मूत्रनली का मुख मवाद के कारण बंद होने लगता है। सुजाक पुराना होने पर पतला चिपचिपा रस निकलता है। सूजाक की बीमारी शुरू होते ही कैनाबिस सैटाइवा के प्रयोग करने से 2 सप्ताह के अन्दर सूजाक रोग ठीक होता है उसके बाद थूजा 1m होम्योपैथिक मेडिसिन देने से सूजाक रोग पूर्ण रूप से अच्छा हो जाता है।
Thuja occ 200 के लिए स्त्री रोग से सम्बंधित लक्षण :- स्त्री के योनि और मूलाधार के पास मस्से उत्पन्न होना। अधिक मात्रा में प्रदर-स्राव होना तथा प्रदर गाढ़ा व हरे रंग का आना। बाएं डिम्बाशय और बाएं वंक्षणप्रदेश (इंग्युनियल रिजन) में अत्यधिक तेज दर्द होना। मासिकस्राव देर से आने के साथ स्राव बहुत कम मात्रा में आना। मासिकस्राव के समय डिम्बकोष में जलन होना विशेषकर बाईं डिम्बकोष में। मासिकस्राव से पहले अधिक मात्रा में पसीना आना आदि लक्षणों में थूजा 1m होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग करना चाहिए।
Thuja 200 के लिए बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण :- चलते समय रोगी को ऐसा महसूस होता रहता है जैसे उसके शरीर के सभी अंग टूट रहे हैं। अंगुलियों की नोक सूजी हुई, लाल तथा सुन्न पड़ जाना। पेशियों की कमजोरी व कंपन। जोड़ों से कड़कड़ाहट की आवाज आना। एड़ियों व पाश्र्णिकाओं में दर्द होना। नख भंगुर। पैर के नाखूनों में नख का बढ़ना आदि लक्षणों में थूजा 1m होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग करना चाहिए।
Thuja 200 Homeopathic Medicine Uses In Hindi : थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन के उपयोग
Thuja 200 uses in hindi for skin – त्वचा से सम्बंधित लक्षण :- त्वचा अधिक कोमल होना, त्वचा पर फोड़े होना, त्वचा पर गुटिकायें होना, मस्से होना, तथा त्वचा पर जख्म होना विशेष रूप से मलद्वार एवं जननेन्द्रिय पर जख्म होने पर थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग किया जाता है। त्वचा पर छाले व चकत्ते होना। त्वचा पर मीठा पसीना आने के साथ तेज बदबू आना। त्वचा का सूख जाना तथा त्वचा पर कत्थई रंग के धब्बे बनना। कमर में दर्द तथा दाद होना। ग्रंथियों में फाड़ता हुआ दर्द होना। ग्रंथि का बढ़ जाना। नख का खराब हो जाना तथा नख का टूट जाना व कोमल होना। आवृत पेशियों में उदभेद उत्पन्न होना जो खुजलाने पर और बढ़ता है। रोगग्रस्त अंगों को छूने से तेज दर्द होना। शरीर के एक भाग में ठण्ड महसूस होना। हाथों व बांहों पर कत्थई रंग के धब्बे होना आदि लक्षणों में रोगी को थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन देने से रोग ठीक होता है।
Thuja 200 के लिए नींद से सम्बंधित लक्षण :- नींद का न आना या नींद का किसी कारण से टूटते रहना आदि लक्षणों में थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन देने से लाभ होता है।
Thuja 200 के लिए बुखार से सम्बंधित लक्षण :- बुखार ऐसे लक्षण जिसमें बुखार के समय ठण्ड जांघों से शुरू होकर पूरे शरीर में फैलता है। बुखार में सिर को छोड़कर पूरे शरीर पर पसीना आना। नींद में रोगी के शरीर से तेज खट्टा शहद की गंध की तरह पसीना आना आदि लक्षणों में रोगी को थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन देने से रोग ठीक होता है।
वृद्धि : रात के समय, बिस्तर की गर्मी से, रात के 3 बजे, दोपहर 3 बजे, ठण्डी हवा में, जुकाम के बाद, तेल वाले भोजन करने पर तथा टीका लगाने पर रोग बढ़ता है।
शमन : बाईं ओर के किसी अंग को भीतर की ओर खींचने पर रोग में आराम मिलता है।
तुलना : थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन की तुलना मेडो, सैबा, साइली, कैना-सैटा, कैन्था, कोपे और स्टैफि होम्योपैथिक मेडिसिनयों से की जाती है।
मात्रा : थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन के मूलार्क या 30 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। कुछ विशेष स्थितियों में जैसे- पूरे शरीर पर मस्से उत्पन्न होने पर मस्से को हटाने के लिए थूजा 200 होम्योपैथिक मेडिसिन की 1000 शक्ति का प्रयोग किया जाता है।